My Thoughts

"आनन्द " फ़िल्म को मैं जब भी देखता हूँ , खुद को दूर कहीं दूर किसी स्रोतस्विनी की जलधारा के साथ प्रवाहित होता पाता हूँ , अनजान किनारों के बीच ! " आनन्द मरा नहीं , आनन्द मरा नहीं करते। " यह वाक्य जैसे चारों ओर प्रतिध्वनित होता रहता है। कितना दुःख , दर्द और … Continue reading My Thoughts

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जिंदगी को हांर-जीत के नजरिये से देखना हमारी खुद की भूल है। जिंदगी तो अपने प्रवाह में गतिमान रहती हे। इसीलिए जिंदगी में जानबूझकर हारने वाली बाजी की बिसात खुद-ब-खुद बिछाना कभी-कभी सबको साथ लेकर चलने के लिए जरूरी होता है। इसका मजा लेने के लिए जिंदगी को एक नए आईने से देखने की जरूरत … Continue reading My Thoughts

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प्रकृति अपने अनुपम सौंदर्य , मनोरम छटा , निश्छलता , निरंतरता , प्रवाह और अप्रतिम उपादानों तथा बिम्बों के माध्यम से मानवता को कितने सशक्त सन्देश देती है। मनुष्य जितना प्रकृति से दूर होता जाता है , उतना ही वह तनाव , कलुषता , वैमनस्य और स्वार्थपरता की दुर्बलताओं से ग्रसित होता जाता है। महान … Continue reading My Thoughts