एक विचार यह भी :

जीवन उतना लम्बा भी नहीं जितना हम उसे समझते हैं और यह उतना छोटा भी नहीं जितना उसे कभी-कभी हम बनाने की कोशिश करते हैं। इसलिए इसके हर पल को सजाना , संवारना और संजोना एक सहज आवश्यकता है। आश्चर्य है कि हम अपने जीवन में इस सत्य को कितना झुठलाते रहते हैं !

वीर सावरकर पार्क , पोर्ट ब्लेयर :

जैसे ही पोर्ट ब्लेयर की सेल्युलर जेल से बाहर निकलते हैं तो दाहिनी ओर वीर सावरकर पार्क है। इसे रात्रि में देखना अत्यंत मनोहारी होता है। रात्रि में आकर्षक विद्युत -रोशनी में नहाया हुआ यह पार्क सहज ही अपनी ओर ध्यानाकर्षण करता है। यहाँ से नीचे पोर्ट ब्लेयर शहर की जगमगाती रोशनी तथा समुद्र के … Continue reading वीर सावरकर पार्क , पोर्ट ब्लेयर :

पोर्ट ब्लेयर , अंडमान की सेल्युलर जेल :

१४ फरवरी , २०१९ से १९ फरवरी , २०१९ तक मुझे अंडमान द्वीपों की यात्रा का सुअवसर मिला। मेरी पत्नी श्रीमती निधि कुमार भी मेरे साथ थीं। इस यात्रा के दौरान हमें पोर्ट ब्लेयर की विश्व विख्यात 'सेल्युलर जेल' को देखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। यहां की इस पवित्र भूमि का हमें दिन में तथा … Continue reading पोर्ट ब्लेयर , अंडमान की सेल्युलर जेल :

चुनावों का उत्सव या दुर्भाग्य का सोपान :

इस देश में जब चुनाव आते है तो लगता है यह कुछ चंद लोगों , टी.वी. चैनलों और अनर्गल प्रलाप से अपनी पहचान बनाने में लगे कुछ तथाकथित मनीषियों के लिए उत्सव की तरह आते है। जैसे एक-दो माहों के लिए उन्हें अपना-अपना राग-अलापने का नया मसाला दे जाते है और नए-नए अभिनय-कर्ताओं के नए-नए … Continue reading चुनावों का उत्सव या दुर्भाग्य का सोपान :

एक ज्वलंत प्रश्न यह भी !

  किसी भी देश की सभ्यता को यदि नष्ट करना है तो उसकी संस्कृति और शिक्षा दोनों को नष्ट करके ही इस उद्देश्य की पूर्ति संभव है। यह बात प्रत्येक आक्रांता को हमेशा ज्ञात रही और इसी कारण इस देश में आने वाले आक्रांताओं ने सबसे पहले इस देश की शिक्षा और संस्कृति पर करारा … Continue reading एक ज्वलंत प्रश्न यह भी !

जातिवाद की जंजीर में क़ैद :

एल्बर्ट स्पेयर ने १९ वीं सदी के भारत के विषय में लिखा था कि इस देश में ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य , सिख ,पारसी , ईसाई , मुस्लिम तथा अन्य जातियों के लोग तो बसते हैं लेकिन कोई इंडियन कहने वाला दिखाई नहीं देता। यह बात समझी जा सकती है क्योंकि उस समय भारत … Continue reading जातिवाद की जंजीर में क़ैद :

एक ज्वलंत प्रश्न :

इस देश में यह कौनसी हवा बहने लगी है जहां देशभक्ति के गीतों की स्वरलहरी की जगह अब देश को अपमानित करने वाली बातों को और देश के दुश्मनों को महिमामंडित करने वालों को अभिव्यक्ति की तथाकथित स्वतंत्रता के नाम पर प्रश्रय दिया जाता है। मीडिया ऐसे विचारों को भर्त्सना के स्थान पर एक वैचारिक … Continue reading एक ज्वलंत प्रश्न :

यह कैसा लोकतंत्र ?

देश में विभिन्न विधानसभाओं में तथा संसद में शोरग़ुल मचाना , आरोप- प्रत्यारोप के समय सभी मर्यादाओं को भूल जाना , देश की समस्याओं के स्थान पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने के लिए महत्वपूर्ण समय को व्यक्तिगत एवं राजनितिक महत्वाकांक्षाओं के लिए बलि चढ़ाने का प्रयास करना ,जैसी घटनाएं तो आज के राजनेताओं के लिए … Continue reading यह कैसा लोकतंत्र ?

महिला-दिवस और महिला सशक्तीकरण :

कल महिला-दिवस था। अनेक स्थलों पर नारी-सम्मानार्थ कार्यक्रम आयोजित किये गए। मेधावी महिलाओं के लिए पुरस्कार-वितरण समारोह भी किये गए। ये बात और है कि इनमें से अधिकतर कार्यक्रम पुरुषों द्वारा आयोजित या प्रायोजित थे। दिनभर बधाइयों का सिलसिला चलता रहा। अनेक लेख और आलेख भी लिखे और प्रकाशित किये गए। टी.वी . चैनलों पर … Continue reading महिला-दिवस और महिला सशक्तीकरण :

एक ज्वलंत प्रश्न यह भी !

किसी भी देश की सभ्यता को यदि नष्ट करना है तो उसकी संस्कृति और शिक्षा दोनों को नष्ट करके ही इस उद्देश्य की पूर्ति संभव है। यह बात प्रत्येक आक्रांता को हमेशा ज्ञात रही और इसी कारण इस देश में आने वाले आक्रांताओं ने सबसे पहले इस देश की शिक्षा और संस्कृति पर करारा कुठाराघात … Continue reading एक ज्वलंत प्रश्न यह भी !