जिंदगी को हांर-जीत के नजरिये से देखना हमारी खुद की भूल है। जिंदगी तो अपने प्रवाह में गतिमान रहती हे। इसीलिए जिंदगी में जानबूझकर हारने वाली बाजी की बिसात खुद-ब-खुद बिछाना कभी-कभी सबको साथ लेकर चलने के लिए जरूरी होता है। इसका मजा लेने के लिए जिंदगी को एक नए आईने से देखने की जरूरत होती है , जिसके लिये कुछ सीमाओं से बाहर आना जरूरी होता है।