दूध को निरन्तर मथने या बिलोने से उसके सार- तत्व गुण मक्खन के रूप में उत्पन्न हो जाते हैं। ‘गो’ का अर्थ है अंधकार या अज्ञान और ‘पी ‘ का अर्थ है पीना। अर्थात जो अंधकार रूपी अज्ञान को पी जाय उसे गोपी कहते हैं। माखनचोर भगवान कृष्ण गोपियों के मक्खन को चुराकर मानो समस्त विश्व को यह संदेश देना चाहते हैं कि यदि चोरी ही करनी है तो विद्वानों और गुणीजनों के गुणों की करो जिससे जीवन श्रेष्ठ बन सके।