इतना ख़ामोश तो मत रहा कर ,
ख़ुद से कभी बात कर लिया कर !
ज़िन्दगी तो ग़मों का समन्दर है ,
ख़ुद को सफ़ीना बना लिया कर !
अपने तो अक्सर ग़ैर हो जाते हैं ,
ग़ैरों को ही गले लगा लिया कर !
मंज़िलों का क्या वो दूर रहती हैं ,
राहों को मंज़िल बना लिया कर !
गिला करके कुछ भी हासिल नहीं ,
ख़लिशे-दिल को छिपा लिया कर !
ख़्वाब अक्सर हक़ीक़त नहीं होते ,
तब भी कोई ख़्वाब बुन लिया कर !
किसको फ़ुरसत है किसी को सोचे ,
माज़ी को हमनशीं बना लिया कर !