जीवन उतना लम्बा भी नहीं जितना हम उसे समझते हैं और यह उतना छोटा भी नहीं जितना उसे कभी-कभी हम बनाने की कोशिश करते हैं। इसलिए इसके हर पल को सजाना , संवारना और संजोना एक सहज आवश्यकता है। आश्चर्य है कि हम अपने जीवन में इस सत्य को कितना झुठलाते रहते हैं !
जीवन उतना लम्बा भी नहीं जितना हम उसे समझते हैं और यह उतना छोटा भी नहीं जितना उसे कभी-कभी हम बनाने की कोशिश करते हैं। इसलिए इसके हर पल को सजाना , संवारना और संजोना एक सहज आवश्यकता है। आश्चर्य है कि हम अपने जीवन में इस सत्य को कितना झुठलाते रहते हैं !