जाने कितने पैमानों से ज़हर पिया होगा ,
तब कहीं जाके वो मुक़द्दस बना होगा !
जाने कितने इम्तिहानों से गुज़रा होगा ,
तब कहीं जाके वो मुअल्लिफ़ बना होगा !
जाने कितनी रुसवाइयों से जूझा होगा ,
तब कहीं जाके वो मुअस्सिर बना होगा !
जाने कितनी ख़्वाहिशों को दफ़नाया होगा ,
तब कहीं जाके वो मुअज़्ज़िज़ बना होगा !
जाने कितनी ठोकरें वक़्त की खाई होंगी ,
तब कहीं जाके वो मुअक्क़र बना होगा !
जाने कितने मक़तबों में तालीम ली होगी,
तब कहीं जाके वो मुअल्लिम बना होगा !
कुछ तो `उसकी ‘ भी रहमत रही होगी ,
तब कहीं जाके वो रहनुमा बना होगा !!