हमें ये इल्म है हमने ढेरों नसीहतें दी है ,
ख़ुद अमल करने का हौसला नहीं होता।
हर रोज़ ग़ैरों को आइना दिखाते हैं हम ,
ख़ुद से बात करने का हौसला नहीं होता।
बेपनाह मंज़िलों की ख़्वाहिश लिए हैं हम ,
पर ख़ुद पे ऐतबार का हौसला नहीं होता !
वो बेपर्दा हो इसी आरज़ू में मशग़ूल हैं हम ,
इसका सिला झेलने का हौसला नहीं होता।
अपनी फ़ितरत का यूँ ही मज़ा लेते हैं हम ,
ये ग़ुनाह क़ुबूलने का हौसला नहीं होता !
✍️😊👍👍👍👍👍
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