मैं तो बस केवल प्रवाह ,
किसी दरिया का ,
किसी नहर का ,
किसी लघु सरिता का ,
किसी स्रोतस्विनी का ,
किसी जल-प्रपात का ,
किसी मचलती जल-धारा का ,
या लरजती-गरजती लहरों का !
मेरा जीवन ही जीवंतता ,
मेरा उद्दीपन ही जिजीविषा ,
मेरा आकर्षण ही निरंतरता ,
मेरा ध्येय ही गतिशीलता ,
पर मंजिल से अनजान नहीं ,
थम जाना मेरा काम नहीं ,
गन्तव्य स्वयं खोजता मुझको ,
प्रारब्ध की मुझे परवाह नहीं !
मैं नहीं जानता कोई विषाद ,
दूर रहते मुझसे सारे अवसाद ,
दुर्गमता से लड़कर पाया ,
मैंने चिर-सुख का प्रसाद ,
बँधकर भी रहता सदा मुक्त ,
करता सृष्टि को चिंता-मुक्त ,
मैं कालजयी , मैं अनवगाह ,
मैं तो हूँ बस केवल प्रवाह !