सिर्फ़ इस बिनाह पर कि तूफान का अन्देशा है ,
सब खिड़कियाँ बन्द कर लो ये भी कोई बात है !
उसे तो इम्तिहान लेने की शौक़े – फ़ितरत है,
तुम नाउम्मीदगी में जियो ये भी कोई बात है !
ज़िंदगी कभी-कभी तन्हा भी गुजारी जाती है ,
ख़ुद को शराबों में डुबो दो ये भी कोई बात है !
यहाँ बाज़ी कभी जीती तो कभी हारी जाती है ,
मंज़िलों की आरज़ू न करो ये भी कोई बात है !
सिर्फ़ इस बिनाह पर कि कल शायद न रहो ,
आज जी भर के न जियो ये भी कोई बात है !!