देश में विभिन्न विधानसभाओं में तथा संसद में शोरग़ुल मचाना , आरोप- प्रत्यारोप के समय सभी मर्यादाओं को भूल जाना , देश की समस्याओं के स्थान पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेकने के लिए महत्वपूर्ण समय को व्यक्तिगत एवं राजनितिक महत्वाकांक्षाओं के लिए बलि चढ़ाने का प्रयास करना ,जैसी घटनाएं तो आज के राजनेताओं के लिए आम हो गयी हैं,परन्तु देश की राजधानी दिल्ली में राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा आहूत बैठक में चीफ सेक्रेटरी श्री अंशु प्रकाश के साथ आम आदमी पार्टी के कुछ विधानसभा सदस्यों द्वारा मारपीट किये जाने की घटना ने तो सभी हदें पार कर दी हैं।
कुछ वर्ष पहले समाजसेवी श्री अन्ना हजारे के साथ एक नौकरशाह देश की राजनीति को बदलने का बीड़ा लेकर निकला था। उसके भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन-आंदोलन को व्यापक जन-समर्थन भी मिला था। लोगों को आशा थी कि इस देश में शायद अब कुछ जरूर बदलाव आएगा। लोगों ने इस नौकरशाह को अपनी आँखों पर बिठाया। दिल्ली की जनता ने उसे ऐतिहासिक जन-समर्थन दिया लेकिन उसी नौकरशाह ने जिस प्रकार लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ खिलबाड़ किया है , वह कल्पनातीत और गहरे दुःख का कारण है। राजनीति किसी को क्या से क्या बना सकती है , इसका जीता जागता उदाहरण दिल्ली के मुख्यमंत्री श्री केजरीवाल हैं। इनके सामने चीफ सेक्रेटरी के साथ अभद्रता तथा मारपीट की घटना होती रही और इसकी भर्त्सना करने के स्थान पर चीफ सेक्रेटरी पर ही मनमाने आरोप लगाने का प्रयास आम आदमी पार्टी द्वारा किया जाता रहा। अब श्री अंशु प्रकाश , आई०ए०एस० की मेडिकल रिपोर्ट से उनके चेहरे पर तथा कान के पास चोटों की पुष्टि से इस घटना के संदेह मिट गए हैं। यह इस देश में होने वाली एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना है जिसकी जितनी भी निंदा की जाये वह कम है और यदि इसे भी केवल राजनीति की बलि चढ़ाकर छोड़ दिया गया तो यह उससे भी अधिक दुर्भाग्यपूर्ण होगा। जो व्यवस्था राज्य के चीफ सेक्रेटरी के स्तर के व्यक्ति की सुरक्षा करने में स्वयं को अक्षम पाती है , उसमें एक साधारण व्यक्ति अपना कौनसा सुरक्षित भविष्य देख सकता है ? इस सम्बन्ध में कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाओं की इस देश में पुनरावृत्ति न हो सके।