इस देश में यह कौनसी हवा बहने लगी है जहां देशभक्ति के गीतों की स्वरलहरी की जगह अब देश को अपमानित करने वाली बातों को और देश के दुश्मनों को महिमामंडित करने वालों को अभिव्यक्ति की तथाकथित स्वतंत्रता के नाम पर प्रश्रय दिया जाता है। मीडिया ऐसे विचारों को भर्त्सना के स्थान पर एक वैचारिक बहस के रूप में दिखाने में कोई हिचक या शर्मिंदगी महसूस नहीं करता। यह कौनसी राजनीति इस देश में होने लगी है जहां केवल वोट बैंक की राजनीति के हितसाध्य के दृष्टिगत इस देश की आत्मा को ही खंडित करने की कृतघ्नता भरी कोशिश की जाती है। नेताओं की बात करना अब व्यर्थ है क्योंकि वह तो अपने व्यवसाय में लगे हैं। वह तो जो बिकता है उसे बेचते हैं , परन्तु क्या इस देश के देशवासी यह सब ऐसे ही देखते रहेंगे जहां देश की अस्मिता के साथ लोग उपहास करते रहें।इस देश में रहने वाले सभी धर्म , सम्प्रदाय तथा वर्ग के लोग इस देश के सबसे पहले नागरिक हैं और इस देश की प्रभुता और अखण्डता को अक्षुण्ण रखने का सभी का साझा दायित्व है। इस देश को जागना होगा। देश के स्वाभिमान को समझना होगा। ओछी राजनीति के दलदल से उठकर देशहित को सोचना होगा। अन्यथा इस देश की स्वतंत्रता को अक्षुण्ण रख पाना कठिन हो जाएगा। यह निर्णय लेना ही होगा कि देशहित से सम्बंधित विषयों को राजनीति की बलि चढ़ने से रोका जाय और इस देश की अपकीर्ति का जो भी कारक बने उसका सामूहिक विरोध किया जाये क्योंकि ऐसा व्यकित चाहे वो जो भी हो , उसे इस देश को अपमानित करने की खुली छूट देना इस देश को अपमानित करने के ही समान है !

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