मुद्दतों बाद आज दिल परीशाँ क्यों है ,
ज़रूर उसपे कुछ नागवार गुजरा है !
दिल की बेचैनियाँ खुद-ब-खुद कहती हैं,
उसे किसी रंजोग़म का ज़ख्म मिला है !
यूँ तो कशिश सीने में दफ़न हो जाती है ,
धड़कने कहती हैं वो तन्हाई में रोया है !
वो जिसको भूले हुए ज़माना बीत गया ,
लगता है आज कहीं पास से गुज़रा है !