पथिक ! यह देश अब स्वतन्त्र है ,
यहाँ कुछ भी कहने की स्वतन्त्रता है ,
हाँ ! किसी के लिए कुछ भी कहने की ,
मर्यादाओं की परिधि को तिलांजलि देकर ,
अपशब्दों की सीमाओं को लांघकर ,
मान-सम्मान जैसी निरर्थकता को भूलकर ,
अपनी दुंदुभी का गुणगान करते ,
अपने दम्भ और मदमत्तता का उद्घोष करते ,
अपनी जमीन तलाशने के लिए ,
या फिर उसे नई उड़ान देने के लिए ,
मनचाहा कुछ भी , कैसा भी और कहीं भी ,
अपनी वैचारिक स्वतंत्रता को ,
निरंकुशता का बाना पहनाकर ,
कुछ भी कहने की अब स्वतंत्रता है ,
क्योंकि संविधान निर्माताओं ने दिया है ,
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार ,
जो है सबका निजता का अधिकार !

पथिक ! वर्तमान का एक सत्य तुम भी जान लो ,
वैसे भी किसी को अच्छा कहो ,
या फिर किसी के किसी कार्य की प्रशंसा करो ,
या फिर उसके अनुसरण की कोई बात करो ,
इससे केवल दूसरे की ही जमीन बनती है ,
इससे फ़ायदा क्या और हासिल क्या ?
कोई इतिहास तो नहीं लिखना है ,
किसी की गाथा थोड़े ही गानी है ,
अपना भविष्य बनाना है ,
इसलिए दूसरे को गिराओ ,
चाहे अपशब्द कहकर ,
या कोई लांछन लगाकर ,
या कोई षड़यंत्र रचकर ,
क्योंकि तभी लोग आकृष्ट होंगे ,
वाद-विवाद होगा और चहुँओर चर्चा होगी ,
और इसी से प्रसिद्धि मिलेगी ,
क्योंकि अब तो चर्चा होती है ,
किसी बलात्कार की ,
किसी नृशंश हत्या की ,
किसी को अपमानित करने की ,
किसी के लुटजाने की ,
या फिर किसी को लूटने की ,
किसी सोचे-समझे षड़यंत्र की ,
या फिर किसी उठापटक की !

पथिक ! इसीलिए कहता हूँ ,
जान लो , यही आसान मार्ग है ,
अपनी जमीन बनाने का ,
अपने भविष्य को सँवारने का ,
समाज और देश में प्रसिद्धि पाने का ,
बस किसी प्रभावशाली व्यक्ति के वारे में ,
कुछ भी , कहीं भी , कैसा भी कहो ,
मत सोचो कि लोग क्या सोचेंगे ,
इसमें समय नष्ट मत करो ,
क्या तुम्हें नहीं पता ,
अब यह देश स्वतंत्र है ,
और स्वतंत्रता का अर्थ है ,
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पूर्णरूपेण अधिकार ?

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