ये बाढ़ तो बाढ़ है हर साल आती है ,
चन्द दिनों के लिए मलिन से घरों को ,
छोड़कर जाने का बस पैगाम लाती है ,
वो जिनका मरना क्या और जीना क्या,
जिनकी फ़िक्र करके पाना क्या और खोना क्या,
ऐसे कुछ लोगों के मरने की ख़बर बन जाती है ,
कुछ आलेखों की विषय-वस्तु बन जाती है,
कुछ चर्चाओं का केन्द्र बन जाती है ,
या फिर न्यूज़ चैनलों का मसाला बन जाती है,
अनर्गल दोषारोपण का बहाना बन जाती है !

इसलिए अब बाढ़ की चर्चा मत करो ,
कितनों के घर उजड़े ये बात मत करो ,
कितनों ने बेबसी में दम तोड़ दिया,
इसको सोचकर समय ख़राब मत करो,
अब तो उद्देश्य अगला चुनाव लड़ना है,
नए-नए सशक्त गठबंधन बनाना है ,
कौन पार्टी में आया और कौन गया ,
बस इसी पर ध्यान केंद्रित करना है ,
सम्मेलनों से इस जनता को रिझाना है,
नए-नए नारों से नई-नई जुगत से ,
येन-केन-प्रकारेण बस चुनाव जीतना है,
इसीलिए कहता हूँ , ज़रा ग़ौर से सुनो,
अपनी-अपनी चुनावी ज़मीन तलाश लो,
बाढ़ की बात करके समय नष्ट मत करो !
समय अमूल्य है इसे नष्ट मत करो !!

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