१- जी.एस.टी ( गुड्स एण्ड सर्विसिज टैक्स या बस्तु एवं सेवाकर ) का पूरे देश में ( जम्मू एवं कश्मीर को छोड़कर ) दिनांक १ जुलाई , २०१७ से लागू होना स्वतंत्रता के बाद देश में अप्रत्यक्ष करों में होने वाला सबसे महत्वपूर्ण सुधार है , जो एक राष्ट्र एक कर की व्यवस्था को प्रतिपादित करता है। ज्ञातव्य है कि ०५ जुलाई , २०१७ से अब जम्मू एवं कश्मीर में भी जी.एस.टी लागू हो गया है।
२- इस कर प्रणाली में समूचे देश में समान कानून तथा समान प्रक्रिया से कराधान की व्यवस्था की गयी है जिसका उद्देश्य व्यवसाय के लिए बाधा रहित सप्लाई तथा वस्तु एवं सेवाओं के लिए समान अवसर के मार्केट सुनिश्चित करना है।
३- इस कर व्यवस्था में अभी तक लागू अनेक करों जैसे सेंट्रल एक्साइज , वैट (वेल्यू ऐडिड टैक्स ) , प्रवेश कर , मनोरंजन कर , सेनवैट ( CENVAT ) , सर्विस टैक्स , तथा लक्जरी टैक्स की पृथक-पृथक कराधान की व्यवस्था को समाप्त करके केवल एक जी.एस.टी.प्रणाली को लागू किया गया है।
४- अब राज्य सरकारें मनमाने ढंग से कर की दर में परिवर्तन नहीं कर सकेंगी और जी.एस.टी.से सम्बंधित किसी भी प्राविधान या कर की दर में संशोधन या परिवर्तन जी.एस.टी.काउंसिल की अनुमति तथा अनुशंसा (recommendation) के बिना नहीं किया जा सकेगा। जी.एस.टी.. काउंसिल इस कर प्रणाली के लिए सर्वोच्च संवैधानिक संस्था है जिसके अध्यक्ष केन्द्र सरकार के वित्त मंत्री होते है तथा सभी राज्य सरकारों के वित्त मंत्री इसके सदस्य होते हैं। यह काउंसिल बिना तीन चौथाई बहुमत के कोई भी अनुशंसा क्रियान्वयन के लिए नहीं कर सकती है। इसमें केंद्र सरकार के वोट का मूल्य एक तिहाई तथा सभी राज्यों का मिलकर वोट दो तिहाई होता है। इससे यह भी स्पष्ट है की काउंसिल की किसी भी अनुशंसा के लिए आवश्यक तीन चौथाई का बहुमत पाने के लिए केंद्र सरकार की स्वीकार्यता अब आवश्यक हो गयी है।
५- यह एक उपभोक्ता आधारित कर-व्यवस्था है जिसमें सप्लाई के प्रत्येक बिन्दु पर कर आरोपण होना है तथा इनपुट टैक्स क्रेडिट अर्थात खरीद या प्राप्त की गयी सप्लाई पर दिए गए कर का लाभ बिक्री या आउटवर्ड सप्लाई पर देय कर में दिए जाने की व्यवस्था है , जिसे इनपुट टैक्स क्रेडिट की व्यवस्था के नाम से जाना जाता है। उदाहरणार्थ – यदि कोई करयोग्य व्यक्ति रु १०,०००/- का माल खरीदता है और उस पर १२% की दर से रु १२००/- कर देकर यह माल खरीदता है तथा इस माल की बिक्री रु० १२,०००/- में करता है जिस पर १२% की दर से रु० १४४०/- कर देय है तो ऐसा व्यक्ति खरीद पर दी गयी रु० १२००/- की कर राशि का स्वतः लाभ लेते हुए केवल १४४० – १२०० = २४०/- ही कर जमा करेगा।
६- इस कर प्रणाली में व्यापारी को खरीद किये जाने पर ही इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ प्राप्त हो जाता है और उसे ऐसे माल की सप्लाई किये जाने के समय की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती है। जब भी सप्लाई या बिक्री की जाती है तब इनपुट टैक्स क्रेडिट की राशि से तदानुसार सप्लाई या बिक्री पर देय कर में समायोजन हो जाता है। इसी कारण इस कर प्रणाली का एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह भी है की इसमें स्टॉक कर के भार से मुक्त होता है क्योंकि उसके सापेक्ष इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ खरीद के समय ही सम्बंधित करयोग्य व्यक्ति / व्यापारी द्वारा ले लिया जाता है।
७- इनपुट टैक्स क्रेडिट की यह सुविधा वस्तु ( गुड्स ) तथा सेवाओं ( सर्विसिज ) दोनों पर सामान रूप से इस कर प्रणाली में अवधारित की गयी हैं।
८- इस कर प्रणाली में मुख्य रूप से ५% , १२% , १८% , तथा २८% की दर से कर आरोपित किये जाने की व्यवस्था की गयी है तथा सोना , चाँदी , डायमण्ड आदि तथा इनसे निर्मित आभूषणों पर कर की दर ३% अवधारित की गयी है। साथ ही खाद्यान्न , दालें , चावल , आटा , बेसन आदि को करमुक्त वस्तुओं की श्रेणी में रखा गया है। लक्ज़री आइटम्स को अधिक कर की श्रेणी में रखा गया है जिसमें कारें , एयर कंडीशनर , वाशिंग मशीन , सिगरेट आदि शामिल है।
९- जी.एस.टी. कर प्रणाली में छोटे व्यवसाइयों को कर की परिधि से बाहर रखा गया है और कुछ अपवादों को छोड़कर ऐसे व्यवसायी जिनकी वार्षिक टर्नओवर २० लाख से अधिक है केवल उनके लिए ही जी एस.टी. कर व्यवस्था में पंजीयन कराना तथा कर देना अनिवार्य किया गया है। साथ ही ऐसे व्यवसायी जो केवल किसी प्रदेश के अंदर ही व्यवसाय करते हैं तथा जिनकी वार्षिक टर्नओवर विगत वर्ष में रु० ७५ लाख या इससे कम है , उनके लिए एकमुश्त समाधान राशि देने का विकल्प भी अवधारित किया गया है। इसके अंतर्गत ऐसे व्यवसायी को अपनी टर्नओवर पर ( रु० ७५ लाख की सीमा तक ) एकमुश्त क्रमशः एक प्रतिशत ( ट्रेडर के लिए) ; दो प्रतिशत ( निर्माताओं के लिए) ; तथा पाँच प्रतिशत (भोज्य पदार्थ (Food ) की सप्लाई/बिक्री करने वालों के लिए) की दर से समाधान राशि देने के प्राविधान किये गए हैं , ताकि उन्हें इस कर प्रणाली की अन्य प्रक्रियाओं से छूट दी जा सके।
१०- यह कर प्रणाली पूरी तरह आन लाइन एप्लीकेशन्स पर आधारित है और इसी कारण यह अधिक पारदर्शी , जनसुलभ तथा पूरी तरह कम्प्यूटरीकृत कर प्रणाली है। एक बार इससे भिज्ञ होने के बाद इसकी कम्प्लाइंस भी अत्यंत आसान हो जाएगी तथा व्यवसाइयों को बार-बार विभागीय कार्यालयों में जाने से भी छुटकारा मिल जाएगा।
११- इस कर प्रणाली से चैकपोस्ट प्रणाली का भी अंत हो गया है जिससे माल के मूवमेंट में अवरोध की समस्त सम्भावनाओं का अंत हो गया है और देश के किसी भी भाग में माल का भेजना तथा व्यापार करना भी सुलभ हो गया है।
१२- इस कर व्यवस्था मे स्वतः कर निर्धारण की व्यवस्था के कड़े प्राविधान किये गए हैं और कर निर्धारण की कार्यवाही सम्बंधित अधिकारियों द्वारा केवल निम्न चार परिस्थितियों में ही की जा सकेगी – (१) जब देय कर जमा नहीं किया गया हो ; (२) जब देय कर कम जमा किया गया हो; (३) जब इनपुट टैक्स क्रेडिट का अनुचित लाभ लिया गया हो ;अथवा (४) जब त्रुटिपूर्ण ढंग से गलत रिफण्ड लिया गया हो।
१३- इस प्रकार जी.एस.टी. कर प्रणाली स्वतंत्रता के उपरान्त आर्थिक सुधारों में एक मील का पत्थर है जिससे जहाँ जी.डी.पी. में एक से दो प्रतिशत की वृद्धि संभावित है , वहीँ व्यापार जगत के लिए भी अधिक व्यापक तथा सकारात्मक एवं समान मार्केट की संभावनाएं भी समाहित है।