वो साथ रहता था धड़कनों की तरह ,
और दूर जाता था ख़्वाबों की तरह।
उसकी खुशबू थी खुशरंग गुलाबों की तरह ,
और महकता था वासंती हवाओं की तरह।
उसका अक़्स टकराता था लहरों की तरह ,
और खो जाता था आँखों में सपनों की तरह।
उसकी आँखें बोलती थीं समंदर की तरह ,
और बेचैनियां थीं सावन की घटाओं की तरह।
वो जाने क्यूँ रहता था अजनबी की तरह ,
पर समाया था मुझमें श्वासों की तरह।
वो साथ रहता था . . . . . . . . . . . . . .